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सौरभ शेखर का आलेख 'प्रकृति, जो आत्मा को बचाए रखती है..'

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आलोक धन्वा सौरभ शेखर जन्म: 7 जनवरी, 1977, मुज़फ्फ़रपुर, बिहार शिक्षा: एम. ए. (अंग्रेजी साहित्य) ·         युवा आलोचक , कवि और ग़ज़लकार ·         विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, अखबारों के लिए नियमित अनुवाद और लेखन. ·         राज्य सभा सचिवालय, दिल्ली में उप निदेशक के तौर पर कार्यरत.   प्रकृति से कविता का अत्यन्त पुरातन नाता है । यह प्रकृति से मानव के उस पुरातन जुड़ाव को व्यंजित करता है जब वह प्रकृति पर ही पूरी तरह निर्भर था । सौभाग्यवश आज इक्कीसवीं सदी में पहुँच जाने के बाद भी कवि का प्रकृति से यह नाता अटूट रूप से बना हुआ है । आलोक धन्वा हमारे समय के महत्वपूर्ण और समादृत कवि हैं । कवि-आलोचक सौरभ शेखर ने आलोक धन्वा की कविताओं में उस प्रकृति को रेखांकित करने का प्रयास किया है जो आत्मा को बचाए रखती है । तो आइए आज पढ़ते हैं सौरभ शेखर का यह आलेख 'प्रकृति, जो आत्मा को बचाए रखती है ।'           प्रकृति , जो आत्मा को बचाए रखती है... सौरभ शेखर आलोक धन्वा की पहचान और प्रतिष्ठा हिंदी कविता में मुख्य रूप से एक क्रांतिकारी कवि के रूप में रही है। व्यवस्था