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चैतन्य नागर का लेख ‘मौत के बाद का कारोबार’।

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  चैतन्य इस सृष्टि में जहाँ भी जीवन है वहाँ मौत है। प्राचीन काल से ही मनुष्य अपने मृतकों की अंत्येष्टि के लिए तरह-तरह के तौर तरीके अपनाता रहा है। किसी को अपने सम्बन्धी के शव की अंत्येष्टि के लिए ‘दो गज जमीन’ चाहिए तो किसी को ‘पाँच मन लकड़ी।’ हिन्दू परम्परा में तो यह अन्येष्टि संस्कार भी एक सम्पूर्ण कारोबार की तरह से ही है। अंत्येष्टि के लिए लकड़ी के इंतजाम से ले कर क्रिया कर्म कराने वाले पण्डित की दान-दक्षिणा और फिर उसके बाद तेरह या सोलह दिनों तक चलने वाला लम्बा और दुखद उद्यम। फिर सामूहिक मृत्यु-भोज। जागरूकता बढ़ने के बाद इधर लोगों में देह-दान की परम्परा भी चल निकली है। ‘देह-दान’ के अन्तर्गत दान किए गए मृतक का शव चिकित्सा-महाविद्यालयों के शोधार्थी चिकित्सकों के प्रयोग के काम आता है। कवि चैतन्य नागर ने इस मौत के कारोबार पर एक दिलचस्प आलेख लिखा है। तो आइए आज पढ़ते हैं चैतन्य नागर का लेख ‘मौत के बाद का कारोबार’।               मौत के बाद का कारोबार   चैतन्य नागर   मौत के ज़िक्र से ही रीढ़ में दहशत रेंगती है।   इसके बारे में किसी तरह की चर्चा को भी अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्द

श्यामबिहारी श्यामल के कहानी संग्रह ‘चना चबेना गंग जल’ पर नारायण सिंह की समीक्षा ‘मुक्ति की राह अकेले नहीं मिलती।’

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श्यामबिहारी श्यामल श्यामबिहारी श्यामल एक सजग पत्रकार होने के अलावा एक बेहतर उपन्यासकार भी हैं। ‘धपेल’ और ‘अग्निपुरुष’ इनके चर्चित उपन्यास रहे हैं। कुछ वर्ष पहले महाकवि जयशंकर प्रसाद के जीवन पर आधारित उपन्यास ‘कंथा’ इन्होने पूरा किया है, जो ‘नवनीत’ में छप कर चर्चित हो चुका है। हाल ही में श्यामल का एक कहानी संग्रह आया है ‘चना चबेना गंग जल’। इस संग्रह की एक बेबाक समीक्षा लिखी है नारायण सिंह ने जो खुद भी एक उपन्यासकार हैं। तो आइए पढ़ते हैं नारायण सिंह की यह समीक्षा ‘मुक्ति की राह अकेले नहीं मिलती।’                                       मुक्ति की राह अकेले में नहीं मिलती                                        नारायण सिंह एक पत्रकार की कहानियों की समीक्षा वैसा ही जोखिम भरा कार्य हो सकता है , जैसा एक कथाकार की पत्रकारिता की समीक्षा। दोनों ही अवस्थाओं में एक का व्यक्तित्व दूसरे पर कब ओवरलैप या हावी हो जाय , कहना मुश्किल होता है। एक पेशेवर पत्रकार होते हुए भी श्याम बिहारी श्यामल ने अपने दो उपन्यासों- धपेल और अग्निपुरुष - के माध्यम से कथा-साहित्य में अपनी पहचान बनाई है।