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रमेश उपाध्याय का संस्मरण 'इब्राहीम शरीफ : स्वतन्त्र लेखन की चाह का एक दुखांत'

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रमेश उपाध्याय संस्मरण केवल उस विशेष व्यक्ति, जो कि उसका लेखक होता है, की ही आपबीती नहीं होता बल्कि उसमें अपने समय का एक इतिहास भी होता है. कहानीकार और सम्पादक रमेश उपाध्याय के इस संस्मरण से हमें न केवल उस समय के उनके खानाबदोशी के जीवन, रोजगार की जद्दोजहद  बल्कि इब्राहीम शरीफ जैसे उम्दा लेखक के व्यक्तित्व के साथ-साथ समान्तर कहानी आन्दोलन और उसके पेचोखम के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिलती हैं. तो आइए आज पहली बार पर पढ़ते हैं रमेश उपाध्याय का यह महत्वपूर्ण और रोचक संस्मरण 'इब्राहीम शरीफ : स्वतन्त्र लेखन की चाह का दुखान्त'.        इब्राहीम शरीफ : स्वतन्त्र लेखन की चाह का एक दुखांत रमेश उपाध्याय प्रेम की गहराई का सम्बन्ध उसकी अवधि से नहीं होता। लम्बे समय तक प्रेम करने वाले दो व्यक्ति भी कभी यह महसूस कर सकते हैं कि उनके बीच जो था , वह तो प्रेम था ही नहीं। दूसरी तरफ केवल कुछ दिन साथ रह कर भी दो व्यक्तियों में इतना प्रगाढ़ प्रेम हो सकता है कि आजीवन भुलाये न भूले। मित्रता में भी ऐसा ही होता है। इब्राहीम शरीफ का और मेरा साथ तीन-चार वर्षों का ही रहा , पर